नवरात्रि का ८ वें दिन:देवी महागौरी

Oct. 13, 2021, 6:10 a.m. by Karuwaki Speaks ( 1015 views)

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नवरात्रि का आठवाँ दिन देवी दुर्गा के महागौरी स्वरुप को समर्पित है नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी की आराधना करनी चाहिए| इनकी सच्चे मन और साफ़ ह्रदय से लोक कल्याण की भावना को ध्यान में रखते हुए आराधना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं| हिमालय पुत्री देवी उमा ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए बड़ा ही कठोर तप किया था| उस कठोर तप की वजह से देवी उमा का शरीर काला पड़ गया था जब उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी को दर्शन दिए और उनकी मनोकामना के बारे में पुछा तो देवी ने कहा की प्रभु मैं आपको पति रूप में पाना चाहती हूँ|

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भगवान शिव ने उनकी मांग को सहर्ष स्वीकार कर लिया और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में साथ ले जाने का वचन दिया| उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने देवी को गौर वर्ण प्रदान किया जिसकी वजह से देवी उमा को गौरी के नाम से भी जाना जाता है| महादेव की अर्धांगिनी होने की वजह से देवी गौरी का नाम महागौरी पड़ा क्योंकि महादेव के बिना गौरी और गौरी के बिना महादेव अधूरे है| महागौरी का नाम लेने से ही भगवान शिव और देवी पार्वती दोनों की आराधना हो जाती है|

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देवी महागौरी का वाहन वृषभ और सिंह दोनों ही हैं| सिंह के देवी का वाहन बनने की कथा बड़ी ही मजेदार है एक बार की बात है जिस वन में देवी तपस्या कर रही थी उसी वन में एक सिंह भी रहता था| एक दिन सिंह भोजन की तलाश में निकला परन्तु शाम होने तक उसे कोई शिकार नहीं मिला भूख से व्याकुल सिंह वापस अपनी गुफा की ओर लौट रहा था| तभी उसकी नज़र तपस्या में लीन देवी उमा पर पड़ी उन्हें देखते ही उसके मुह से लार टपकना शुरू हो गया| परन्तु देवी के तपस्या में लीन होने की वजह से सिंह उनके सामने बैठ गया और देवी की तपस्या के पूर्ण होने का इन्तेजार करने लगा|

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तपस्या पूर्ण होने पर देवी ने देखा की सिंह की स्थिति बड़ी जर्जर हो चुकी थी अतः उन्होंने प्रेम पूर्वक उसे अपना वाहन बना लिया| सिंह ने भी तपस्या की थी अतः तपस्या के फलस्वरूप उसे भी देवी के साथ पूजा जाने लगा| देवी का स्वरुप बड़ा ही मनोहारी है देवी की चार भुजाएं है दाहिनी ओर की एक भुजा अभयमुद्रा में है तथा दूसरी भुजा में त्रिशूल मौजूद है| वहीँ बायीं तरफ की एक भुजा में डमरू है तथा दूसरी भुजा वरमुद्रा में है| देवी के पूजन के लिए निम्नलिखित मन्त्र उपयुक्त है:

सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

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Comments (1)

user
Mini 2 years, 5 months ago
Jai Mata Di